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Thursday 22 July 2021

Modhera sun temple

Modhera sun temple Gujarat India

सूर्य मंदिर मोढेरा

The Sun Temple is a Hindu temple dedicated to the solar deity Surya located at Modhera village of Mehsana district, Gujarat, India. It is situated on the bank of the river Pushpavati. It was built after 1026-27 CE during the reign of Bhima I of the Chaulukya dynasty. 



शिल्‍प का बेहतरीन नमूना : मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा गॉव में निर्मित है। यह सूर्य मन्दिर विलक्षण स्थापत्य और शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण में जोड़ लगाने के लिए कहीं भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है। ईरानी शैली में बने इस मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में दो हिस्सों में बनवाया था। जिसमें पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। गर्भगृह में अंदर की लंबाई 51 फुट, 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट, 8 इंच है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के अलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगों को बेहतरीन कारीगरी के साथ दिखाया गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं। मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड है जो सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध है।

खंडित मंदिर : सोलंकी राजा सूर्यवंशी थे, और सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसीलिए उन्होंने अपने आद्य देवता की पूजा के लिए इस भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया, इसके चलते मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ। विदेशी आक्रांताओं के हमले के क्रम में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा उसने मंदिर की मूर्तियों को भी तोड़ा-फोड़ा, इसीलिए वर्तमान समय में इस मन्दिर में पूजा करना निषेध है। ऐसा माना जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी के हमले ने मंदिर को खंडित कर दिया था। फिल्‍हाल इसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने संरक्षण में ‍ले लिया है।

पुराणों में भी आता है इस मंदिर का उल्‍लेख:  मोढेरा के मंदिर का जिक्र कई पुराणों में किया गया है। जैसे स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण जिनमें कहा गया है कि प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरन्य के नाम से जाना जाता था। पुराणों के अनुसार ये भी बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ट को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा जहां जाकर वह आत्मशुद्धि कर सकें और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्‍ति पा सकें। तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को यहीं आने की सलाह दी थी। 

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